chhath puja kahani in hindi | छठ पूजा क्यों मनाया जाता है इन हिंदी

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chhath puja kyu manaya jata hai | छठ पूजा क्यों मनाया जाता है इन हिंदी

आज हम जानेंगे की छठ पूजा क्यों मनाया जाता है और लोग छठ की पूजा क्यों करते हैं और चैती छठ पूजा 2021 में कितने तारीख को है |

भारत के कुछ पर्वो में से एक ख़ास पर्व होता हैं छठ पूजा , आज मै छठ महापर्व से जुड़ी कुछ विशेष जानकारी को आपके साथ शेयर करूंगा |

छठ पर्व की शुरुवात कैसे हुई , छठ पर्व किस प्रकार मनाया जाता हैं , छठी मैया कौन हैं और छठ पूजा क्यूँ होती हैं ऐसे ही कुछ सवालो के जवाब आपको इस पोस्ट में मिलने वाले हैं |

छठ पूजा क्यों मनाया जाता है इन हिंदी

भारत एक ऐसा देश है जहाँ हज़ारों पर्व मनाया जाता हैं और जिसमे से दिवाली भी एक बहुत ही ख़ास पर्व होता हैं जिसे लगभग सभी भारतीय मनाता हैं |

दिवाली पर्व पांच दिन तक चलता हैं जिसमे भैया दूज और छठ पर्व भी सामिल होते हैं |

भारत के पूर्वी उत्तरप्रदेश, बिहार और झारखण्ड में मनाये जाने वाला ये पर्व एक बहुत ही अहम पर्व मन जाता हैं |

आज के समय में छठ पूजा का पर्व पुरे विश्व में प्रचलित हो गया है और इस पर्व को प्रचलित करने में प्रवासी भारतीय और इन्टरनेट का काफ़ी योगदान हैं |

छठ पूजा क्यों मनाया जाता है

छठ पूजा कैसे प्रचलित हुई या छठ पूजा क्यों मनाया जाता है इसके पीछे बहुत सरे इतिहासिक कारण बताए जाते हैं |

पुराण में छठ पूजा की कहानी राजा प्रियवंत की वजह से प्रचलित हैं ऐसा कहा जाता हैं की राजा प्रियवंत की कोई संतान नही थी तब महर्षी कश्यप ने पुत्र की प्राप्ति के लिए यग्य करा कर प्रियवंत की पत्नी मालिनी को याहुति के लिए बनाई गयी खीर दी |

इससे उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन वो पुत्र मरा हुआ पैदा हुआ , राजा प्रियवंत पुत्र को लेकर समसान में गये और पुत्र वियोग में अपनी जान देने लगे |

उसी वक्त भगवान की मानस पुत्री देवसेना वहाँ प्रकट हुई उन्होंने राजा से कहा की क्यूंकि वो श्रृष्टि की मूल प्रिविरती के छठे अंश में उत्त्पन हुई है इसी कारण वो श्रृष्टि कहलाती हैं |

उन्होंने राजा से अपना व्रत करने को कहा और दुसरो को पूजा करने के लिए प्रेरित करने को कहा , राजा ने पुत्र की इच्छा के कारण देवी श्रृष्टि का व्रत किया और उन्हें पुत्र की प्राप्ति भी हुई |

ये पूजा कार्तिक शुक्ल के श्रृष्टि को हुई थी तभी से यह पूजा छठ पूजा के नाम से जानी जाती हैं |

भगवान श्री राम और सीता जी से जुडी हुई भी एक कथा काफी ज्यादा प्रचलित हैं चली उसे भी जान लेते हैं |

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IMAGE SOURCE – WIKIPEDIA

छठ पूजा की कथा क्या हैं | chhath puja kahani in hindi

पौराणिक कथा के मुताबित जब राम सीता 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे तो रावण वध के पाप से मुक्त होने के लिए उन्होंने ऋषि मुनियों के आदेश पर राज सूर्य यग करने का फ़ैसला लिया |

पूजा के लिए उन्होंने मुद्गल ऋषि को बुलाया , मुद्गल ऋषि ने सीता माँ पर गंगा जल छिड़क कर पवित्र किया और कार्तिक मास के शुक्ल

पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की उपासना कर ने का आदेश दिया |

जिसके बाद माता सीता ने मुद्गल ऋषि के आश्रम में रहकर 6 दिनों तक भगवान सूर्य की पूजा की थी |

तो चलिए अब छठ पूजा के बारे में और कुछ विशेष जानकारी लेते हैं की और जानते हैं की छठ पूजा कैसे मनाया जाता हैं |

छठ पूजा कैसे मनाया जाता हैं

छठ पूजा एक चार दिवसी उत्सव हैं इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को तथा समाप्ति कार्तिक शुक्ल के सप्तमी को होती हैं |

इस दौरान छठ पूजा का व्रत करने वाले लगातार 36 घंटे का व्रत करते थे |

छठ पूजा का पहला दिन : नहाय खाय 

पहला दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी नहाय खाय के रूप में मनाया जाता हैं , सबसे पहले घर की सफाई होती है और घर कप पवित्र किया जाता हैं |

इसके बाद स्नान कर पवित्र और शुद्ध साकाहारी भोजन ग्रहण किया जाता हैं , घर के सभी सदस्य व्रत रहने वाले के भोजन करने के बाद ही भोजन करते हैं |

भोजन के रूप में कद्दूदाल चावल ग्रहण किया जाता हैं , यह दाल चने की होती हैं |

छठ पूजा का दूसरा दिन : खरना 

कार्तिक शुक्ल पंचमी को व्रत करने वाले दिन भर का उपवास रखने के बाद शाम को भोजन करते हैं इसे खरना कहा जाता हैं |

खरना का प्रसाद लेने के लिए आस-पास के लोगो को आमंत्रित किया जाता हैं , प्रसाद के रूप में गन्ने के रस में बने हुए चावल के खीर के साथ दूध,चावल का पिट्ठा और घी चुपड़ी रोटी बनाई जाती हैं और इसमें नमक या चीनी का उपयोग नही किया जाता हैं |

इस दौरान पुरे घर की स्वछता का विशेष ध्यान दिया जाता हैं |

छठ पूजा का तीसरा दिन : संध्या अर्घ

तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को दिन में छठ प्रसाद बनाया जाता हैं , जिस तरह से कई साल पहले यह पूजा की जाती थी , वही तरीका आज भी हैं |

इस पर्व के लिए जो प्रसाद होता हैं वो घर में तैयार किया जाता हैं , ठेकुआ और कशार के अलावा और भी जो पकवान बनाये जाते हैं वो खुद व्रत करने वाला या उनके परिवार वाले पूरी सफाई के साथ बनाते हैं |

ठेकुआ गुड़ और आटे की मदद से तैयार होता है और कसार चावल के आते और गुड़ से तैयार होता हैं , इसके अलावा इस पूजा में फल , फूलो और सब्जियों का ख़ास महत्व होता हैं |

छठ पूजा में इस्तेमाल होने वाले बर्तन या तो बांस के बने होते हैं या किसी मिटटी के जो की एक प्रकार की eco freindly होती हैं |

शाम के समय में बांस की टोकरी में आर्ग का शुप तैयार किया जाता हैं , और व्रती के साथ परिवार वाले लोग और काफ़ी अन्य सदस्य घाट पर सूर्य को अर्ग देने जाते हैं |

सभी व्रती एक नदी या तालाब के पास इकठा होकर सामुहिक रूप से सूर्य को अर्ग दान देती हैं , सूर्य को दूध और जल से अर्ग दिया जाता हैं तथा छठी मैया की फल से भरे शुप से पूजा की जाती हैं |

उसके बाद सूर्य अस्त के बाद लोग अपने घर वापिस आ जाते हैं |

छठ पूजा का चौथा दिन : सुबह का अर्घ

चौथे दिन (कार्तिक शुक्ल सप्तमी )की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ दिया जाता हैं , व्रती वहीं पुनः इकठा होते हैं जहाँ उन्होंने शाम को व्रत किया था , अंत में व्रती कच्चे दूध को पीकर और थोडा प्रसाद खा कर अपना व्रत तोड़ते हैं |

छठी मैया कौन हैं ?

वेदों के अनुसार छठी मैया को उषा देवी के नाम से भी जाना जाता हैं , छठी मैया के बारे में बताया जाता है की वो सूर्य देव की बहन हैं |

छठी मैया की पूजा करने से तथा उनके गीत गाने से सूर्य भगवान प्रसन होते हैं और सभी मनोकामना पूरी करते हैं |

निष्कर्ष – 

उम्मीद है की आपको ये पोस्ट बहुत बढ़िया लगा होगा और आपको छठ पूजा के बारे में पूरी जानकारी मिल गयी होगी |

मैंने आपको छठ पूजा क्यों मनाया जाता है और लोग छठ पूजा क्यूँ करते हैं ये सारी चीज़े बता दी हैं |

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