Satellite meaning in hindi
आज हम आपको इस पोस्ट में satellite meaning in hindi,सेटेलाइट क्या होता है ,सेटेलाइट को हिंदी में क्या बोलते है और सेटेलाइट कैसे काम करता है इन सभी चीजों के बारे में हिंदी में जानकारी देने वाले हैं |
आपने कई बार सोचा होगा की आखिर satellite होता क्या है ? और इसका काम क्या होता है ? तो हम इसका भी जवाब आगे देने वालें हैं |
इस पोस्ट में दी गयी जानकारी-
1.सेटेलाइट क्या होता है ?
2.satellite meaning in hindi | सेटेलाइट को हिंदी में क्या बोलते हैं ?
3.सेटेलाइट कैसे काम करता है ?
4.सेटेलाइट कितने प्रकार के होते हैं ?
5.भारत में कितने सेटेलाइट हैं ?
तो चलिए अब हम शुरू से जानते है की आखिर सेटेलाइट क्या होता है ?
सेटेलाइट क्या होता है ?
आप जब भी अपने फ़ोन को चलाते हैं और इन्टरनेट का इस्तेमाल करते हैं तो आपने कभी न कभी ये जरुर सोचा होगा की आखिर ये इन्टरनेट कैसे चलता है और हम कैसे देश विदेशों में हम आसानी से बात करते हैं |
हम आपको बता दें की यह सब हम सेटेलाइट की मदद से ही कर पाते हैं |
सेटेलाइट हमारे जिंदगी को बहुत आसान बनाती है और न्यूज़ की लाइव रिपोर्टिंग और जीपीएस पे लोकेशन देखना ये सभी चीजें सेटेलाइट की ही मदद से होता है |
सेटेलाइट एक उपग्रह होता है जिसे इंसान बनाते हैं | सेटेलाइट हमारे धरती के चारो तरफ चक्कर लगाता है जैसे एक ग्रह चक्कर लगाता है |
सेटेलाइट को बनाने के बाद हम उसे पृथ्वी के कक्षा में छोड़ देते हैं और उसके बाद सेटेलाइट हमारे पृथ्वी के चक्कर लगाने लगता है |
सेटेलाइट अलग-अलग गति से हमारे पृथ्वी के चक्कर लगाता है और यह सेटेलाइट के प्रकार के ऊपर निर्भर करता है की वो धरती से कितनी दुरी पर है और कितनी तेज धरती से चक्कर लगा रहा है |
सेटेलाइट हमारी बहुत सहायता करता है | हम घर में बैठकर आसानी से टीवी देखते हैं जो की सेटेलाइट की मदद से संभव हो पाया है |
जैसे एक ग्रह हमारे पृथ्वी का चक्कर लगाता है और एक सुनिश्चित स्पीड से परिकर्मा करता है उसी तरह सेटेलाइट भी एक स्पीड से हमारी पृथ्वी की परिकर्मा करता है |
हम ग्रह की गति को बढ़ा या घटा नही सकते क्यूंकि वह एक प्राकृतिक उपग्रह है लेकिन हम सेटेलाइट की गति को कम तेज कर सकते हैं क्यूंकि उसपे हमारा कण्ट्रोल रहता है और वह कृत्रिम सेटेलाइट भी कहलाता है |
जब सेटेलाइट को पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाता है तो उसपे लगने वाला ग्रेविटेशनल फ़ोर्स यानि गुरुत्वाकर्षण बल खत्म हो जाता है और सेटेलाइट निचे नही आता और हवा में चक्कर लगाने लगता है |
जो प्राकृतिक ग्रह होते हैं उसी से वज्ञानिकों को सेटेलाइट बनाने का सुझाव आया और वज्ञानिको ने सेटेलाइट बनाया भी और उसे सफलतापूर्वक लांच भी किया |
सेटेलाइट कई प्रकार के होते है जिसे अलग -अलग कामों के लिए लांच किया जाता है और ये अलग-अलग दुरी पे होते हैं और इनकी गति भी सामान नही होती |
हमने बात कर ली की सेटेलाइट क्या होता है और किस लिए इस्तेमाल किया जाता है | अब हम जानेंगे की आख़िरकार ये सेटेलाइट काम कैसे करता है ?
सेटेलाइट कैसे काम करता है ?
सेटेलाइट का काम समझने से पहले हमे सेटेलाइट का डिज़ाइन यानि की नक्शा समझना होगा |
हमने आपको पहले ही बता दिया है की सिर्फ एक तरह की सेटेलाइट लांच नही होती बल्कि अलग-अलग तरीकों की सेटेलाइट को अलग-अलग कामों के लिए लांच किया जाता है |
अगर सेटेलाइट अलग है तो जाहिर सी बात है की उसके अन्दर के part भी दुसरे होंगे क्यूंकि जिस काम के लिए सेटेलाइट को लांच किया गया है उसी से सम्बन्धित part उसमे लगाये गयें होंगे |
इसलिए कभी भी सेटेलाइट एक तरह नही होती | लेकिन कुछ चीजें ऐसी भी हैं जो हर सेटेलाइट में अक्सर देखने को मिलती हैं |
आप सेटेलाइट के इस फोटो को देख सकते हैं इसमें आपको बगल में दोनों तरफ सोलर पैनल दिखेगा जो की सेटेलाइट को उर्जा प्रदान करता है और बिजली का उत्पादन भी सेटेलाइट उसी से करती है |
सेटेलाइट के बीच में ट्रांसमीटर और रिसीवर लगा होता है जिसका काम होता है सिगनल भेजने और रिसीव करने का काम करता है |
सेटेलाइट में और कई चीजें लगी होती हैं जो की जीपीएस में मदद करती है जैसे सेटेलाइट में कुछ स्कैनर लगे होते हैं और कुछ छोटे -छोटे कैमरे होते हैं जो की पृथ्वी की सतह को स्कैन करते हैं और उसपे नजर रखते हैं |
हम सेटेलाइट में लगे सभी कैमरे और स्कैनर को पृथ्वी से कण्ट्रोल कर सकते हैं |
कई सेटेलाइट इसरो ने भी लांच की है जो की कम्युनिकेशन के लिए हमारी मदद करती है | जो सेटेलाइट कम्युनिकेशन के लिए इस्तेमाल की जाती हैं वो जमीन से बहुत ज्यादा दुरी पे होती हैं |
कम्युनिकेशन सेटेलाइट ज्यादा ऊपर इसलिए होतीं हैं ताकि वो ज्यादा से ज्यादा पृथ्वी के हिस्से को कवर कर पायें |
आप सभी को पता होगा को ऑप्टिकल फाइबर से भी कम्युनिकेशन को आसान बनाया गया है लेकिन जो हिस्सा ऑप्टिकल फाइबर से छुट जाता है उसे भी सेटेलाइट कवर कर लेता है |
इसे तरह से सेटेलाइट अपना काम करता है |
अब हम आपको ये बतायेंगे की सेटेलाइट कितने प्रकार के होते हैं और कौनसी सेटेलाइट पृथ्वी से दूर रहती है और कौन सी सेटेलाइट पृथ्वी के नजदीक होती है |
सेटेलाइट कितने प्रकार के होते हैं ?
सेटेलाइट को हम तीन भागों में बाट देते हैं और उसे समझते हैं |
1.Low Earth Orbit सेटेलाइट –
इस सेटेलाइट का नाम पढ़ के आप समझ जायेंगे की यह सेटेलाइट पृथ्वी के नजदीक होती है | इस सेटेलाइट का काम होता है स्कैनिंग करना और पृथ्वी के हर जगह की फोटो खींचना ताकि लोगो को जीपीएस में मदद मिल सके |
यह सेटेलाइट पृथ्वी के नजदीक होता है इसीलिए उसका चक्कर लगाने में कम समय लेता है और जब तक दूर के सेटेलाइट एक चक्कर लगायेंगे तब तक यह उनसे तेज कई चक्कर लगा लेता है |
Low Earth Orbit सेटेलाइट पृथ्वी से करीब 160-1600 kilometer के बिच में होतें हैं |
2.Medium Earth Orbit सेटेलाइट –
इस तरह की सेटेलाइट मध्यम भाग में इस्थित होती हैं |ये पृथ्वी से ना ही बहुत दूर होती हैं और ना ही बहुत पास |
यह सेटेलाइट 10000 -20000 किलोमीटर तक की ऊंचाई पे होती है |
यह सेटेलाइट नेविगेशन के लिए काम आता है और जीपीएस का प्रयोग इसी के मदद से हो पाता है | इन सेटेलाइट के गति को आप तेज़ या धीमी कर सकते हैं |
3.High Earth Orbit सेटेलाइट –
यह सेटेलाइट पृथ्वी से बहुत दुरी पे होती है | ये करीब पृथ्वी की सतह से 35000 किलोमीटर की ऊंचाई पर होता है |
यह सेटेलाइट पृथ्वी के ही स्पीड से घुमती है |अगर देखा जाये तो हमारे लिए यह सेटेलाइट नही घुमती क्यूंकि जितनी स्पीड से पृथ्वी घुमती है उसी स्पीड से सेटेलाइट भी घुमती है तो इसलिए हमे सेटेलाइट एक ही जगह पर देखेगी |
हमने आपको सेटेलाइट के प्रकार के बारे में भी बता दिया अब हम आपको भारत में कितने सेटेलाइट हैं ? ये बताने वाले हैं |
भारत में कितने सेटेलाइट हैं ?
आप सभी को पता होगा की इसरो ने कई सेटेलाइटलांच किये हैं लेकिन आज हम आपको ये बतायेंगे की पुरे भारत में कितनी सेटेलाइट हैं |
भारत में 1975 से सेटेलाइट लांच होना शुरू हो गयी थी और अभी तक करीबन 41 सेटेलाइट लांच कर चुकें हैं |
निष्कर्ष-
आज हमने इस पोस्ट में satellite meaning in hindi,satellite kya hota hai इसके बारे में अच्छे से जानकारी दी है और उम्मीद करता हूँ की पोस्ट अच्छी लगी होगी |
अगर आपको कोई राय देनी हो तो निचे कमेंट जरुर करें |
अधिक जानकारी के लिए इस विडियो को देखें –
video source- YOUTUBE
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